प्रयागराज और वाराणसी में गंगा का जलस्तर घटा, नगर निगम सफाई में जुटा
संतोष
- 08 Aug 2025, 08:57 PM
- Updated: 08:57 PM
प्रयागराज/वाराणसी (उप्र), आठ अगस्त (भाषा) प्रयागराज जिले में गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 84.73 मीटर से नीचे आने और लगातार घटने के साथ प्रयागराज नगर निगम युद्ध स्तर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में साफ सफाई में जुट गया है।
वहीं, वाराणसी में भी गंगा का जलस्तर घटकर खतरे के निशान से नीचे आ गया है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बुधवार की शाम को गंगा का जलस्तर 71.58 मीटर था जो शुक्रवार की सुबह 70.60 मीटर पर आ गया। वाराणसी में खतरे का निशान 71.262 मीटर है।
प्रयागराज की अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) विनीता सिंह ने बताया कि आज दोपहर 12 बजे जिले में यमुना नदी का जलस्तर नैनी में 82.77 मीटर, जबकि गंगा का जलस्तर फाफामऊ में 82.16 मीटर, छतनाग में 81.84 मीटर और बक्शी बांध पर यह 82.50 मीटर दर्ज किया गया। जलस्तर में निरंतर गिरावट जारी है।
प्रयागराज नगर निगम के अपर नगर आयुक्त दीपेंद्र यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से बाढ़ का पानी हटने के साथ नगर निगम के कर्मचारी साफ सफाई में जुट गए हैं।
उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 3,000 सफाई कर्मियों को लगाया गया है, वहीं आंशिक प्रभावित क्षेत्रों से 600 कर्मचारी, पूर्ण प्रभावित क्षेत्रों में लगाए गए हैं।
यादव ने बताया कि जिन क्षेत्रों से बाढ़ का पानी निकल गया है, वहां ‘वाटर प्रेशर’ मशीनें लगाकर गाद हटाया जा रहा है। जितना पानी घट रहा है, प्रतिदिन उतना क्षेत्र साफ कर दिया जा रहा है।
इसके अलावा, प्रभावित क्षेत्रों में कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है और जहां कर्मचारी नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहां कृषि विभाग से लिए गए दो ड्रोन के माध्यम से छिड़काव किया जा रहा है।
सदर के बाढ़ प्रभावित सलोरी क्षेत्र में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले प्रतीक विश्वकर्मा ने बताया कि बाढ़ घटने से थोड़ी राहत मिली है, लेकिन पूरा इलाका साफ होने में कई दिन लग सकते हैं क्योंकि गलियों में गंदगी फैल गई है।
अपर जिलाधिकारी विनीता सिंह ने बताया कि पिछले शनिवार से ही गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया था जिससे जिले के 200 से अधिक गांवों और शहर की करीब 60 बस्तियों में पानी भर गया था। लेकिन अब जलस्तर नीचे आने से लोग राहत महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि नगर में सदर तहसील के अंतर्गत आने वाले 107 वार्ड एवं मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हुए जिनमें राजापुर, बेली कछार, चांदपुर सलोरी, गोविंदपुर, छोटा बघाड़ा और बड़ा बघाड़ा प्रमुख रूप से प्रभावित थे।
पिछले रविवार को कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता और इसके अगले दिन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था और अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए राहत सामग्री उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे।
वाराणसी में गंगा का जलस्तर घटकर खतरे के निशान से नीचे आ गया है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बुधवार की शाम को गंगा का जलस्तर 71.58 मीटर था जो शुक्रवार की सुबह 70.60 मीटर पर आ गया। वाराणसी में खतरे का निशान 71.262 मीटर है।
हालांकि अभी तक दशाश्वमेध घाट पर होने वाली प्रसिद्ध गंगा आरती छतों पर की जा रही है। वहीं मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर होने वाले दाह संस्कार ऊंचे चबूतरों और छतों पर किये जा रहे हैं।
गंगा सेवा निधि के शिवम आग्रहरी ने बताया कि वैसे तो गंगा जी का जलस्तर घट रहा है, परन्तु अभी घाटों पर जन जीवन सामान्य होने में अभी समय लगेगा।
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि वाराणसी में गंगा का जलस्तर अब घटने लगा है। जहां भी बाढ़ का पानी घट रहा, वहां युद्ध स्तर पर साफ-सफाई और छिड़काव कराया जा रहा है।
शहर में जहां भी बाढ़ का पानी कम हो रहा है, वहां नगर निगम के कर्मचारियों के द्वारा सबसे पहले सफाई कराकर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराया जा रहा है।
जिलाधिकारी सतेंद्र कुमार ने बताया कि गंगा का जलस्तर बुधवार से ही घट रहा है। गंगा नदी अस्सी और वरुणा के कुल 28 वार्ड बाढ़ से प्रभावित हैं। कुल 24 बाढ़ राहत शिविर बनाये गए हैं, जिनमे 4500 बाढ़ प्रभावित लोग रह रहे हैं। जिला प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें संयुक्त रूप से कार्य कर रही है। बाढ़ राहत की टीम लगातार लोगों से सम्पर्क कर उनकी हर प्रकार की मदद कर रही है।
अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल ने बृहस्पतिवार को बाढ़ राहत शिविरों में रह रहे लोगों का कुशलक्षेम जानने के लिए कई राहत शिविरों का दौरा किया।
उन्होंने राम जानकी मन्दिर ढेलवरिया, सावित्री लान सरैया, शैलपुत्री मंदिर व मौजा हाल चित्रकूट स्कूल में रह रहे बाढ़ पीड़ितों से उनका हाल जाना। इस दौरान उन्होंने हजारों लोगों को राहत सामग्री के ‘किट’ उपलब्ध कराये।
भाषा राजेंद्र आनन्द