लद्दाख में 10 दिवसीय ‘एनालॉग’ अंतरिक्ष मिशन के बाद दो शोधकर्ता बाहर आएंगे
संतोष नरेश
- 10 Aug 2025, 10:31 PM
- Updated: 10:31 PM
नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) लद्दाख स्थित मानव बाह्य अंतरिक्ष अन्वेषण (होप) केंद्र में 10 दिन के एकांतवास के बाद दो शोधकर्ता सोमवार को बाहर आने वाले हैं। यह केंद्र चंद्रमा और मंगल ग्रह जैसी जीवन की स्थितियों का अनुकरण करता है ताकि लंबी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान होने वाले शारीरिक और मानसिक प्रभावों को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
पहले प्रयोग के तहत दो शोधकर्ताओं (राहुल मोगालापल्ली और यमन अकोट) ने एक अगस्त को लेह से लगभग 160 किलोमीटर दूर त्सो कार झील के तट पर स्थित होप ‘एनालॉग’ केंद्र पर अपना एकांतवास मिशन शुरू किया था।
अंतरिक्ष विज्ञान के प्रचार-प्रसार में शामिल कंपनी प्रोटोप्लैनेट के निदेशक सिद्धार्थ पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस मिशन का उद्देश्य गहन अंतरिक्ष के वातावरण जैसी परिस्थितियों में मानव अनुकूलनशीलता और लचीलेपन का आकलन करना है।’’
उन्होंने कहा कि इन अध्ययनों से प्राप्त अंतर्दृष्टि पृथ्वी से परे मानव की निरंतर उपस्थिति के लिए मजबूत प्रोटोकॉल और तकनीक विकसित करने में सहायक होगी।
बयान में कहा गया है कि यहां की ऊंचाई और ठंडे रेगिस्तान जैसी परिस्थितियां एक ‘असाधारण एनालॉग केंद्र’ के रूप में कार्य करती हैं, जो चंद्रमा और मंगल ग्रह पर पाई जाने वाली भूवैज्ञानिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों की काफी हद तक हूबहू नकल हैं। ‘एनालॉग’ अंतरिक्ष मिशन से आशय अंतरिक्ष जैसी परिस्थितियों का पृथ्वी पर अनुकरण करने वाले मिशन से है।
होम में चालक दल के रहने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया आठ मीटर व्यास का आवास मॉड्यूल और संचालन एवं सहायता प्रणालियों के लिए पांच मीटर व्यास का उपयोगिता मॉड्यूल शामिल है, जो निर्बाध कार्यप्रवाह के लिए आपस में जुड़े हुए हैं।
त्सो कार घाटी को इस एनालॉग मिशन के लिए विशेष रूप से इसलिए चुना गया था क्योंकि इसकी पर्यावरणीय समानताएं प्रारंभिक मंगल ग्रह से काफी मिलती-जुलती हैं, जहाँ उच्च पराबैंगनी प्रवाह, निम्न वायुदाब, अत्यधिक ठंड की उपस्थिति है।
होप की तरह ही ‘मार्स डेजर्ट स्टेशन’ (अमेरिका), कनाडा में फ्लैशलाइन मार्स आर्कटिक रिसर्च स्टेशन और रूस में बीआईओएस-3 जैसे अनुसंधान केंद्र हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों को दूसरे ग्रह की दुनिया के साथ तालमेल बिठाने में आने वाली चुनौतियों का अनुकरण कराने का प्रयास करते हैं।
होप स्टेशन का स्वामित्व और संचालन प्रोटोप्लैनेट द्वारा किया जाता है जिसमें ‘द मार्स सोसाइटी’ (अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया), इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र और लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद से अनुमति प्राप्त है।
भारत की योजना 2027 में गगनयान परियोजना के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने और 2040 तक किसी भारतीय को चंद्रमा पर उतारने की है।
इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के वैज्ञानिकों और लद्दाख सरकार के प्रतिनिधियों के सोमवार को त्सो कार घाटी स्थल पर आयोजित होने वाले समारोह में शामिल होने की उम्मीद है।
भाषा संतोष