उत्तराखंड : धराली में खीरगाड़ का जलस्तर बढ़ने के बावजूद तलाश और बचाव अभियान जारी
सं, दीप्ति, रवि कांत
- 12 Aug 2025, 06:07 PM
- Updated: 06:07 PM
उत्तरकाशी, 12 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड में उत्तरकाशी के आपदाग्रस्त धराली में खीरगाड़ नदी का जलस्तर मंगलवार को अचानक फिर बढ़ने के बावजूद तलाश और बचाव अभियान जारी रहा जबकि मौसम साफ होते ही हेलीकॉप्टरों के माध्यम से प्रभावित क्षेत्र में खाद्य तथा राहत सामग्री भेजे जाने का सिलसिला भी शुरू हो गया।
अधिकारियों ने यहां बताया कि आपदा के बाद हर्षिल हेलीपैड के निकट भागीरथी नदी का जलप्रवाह रूकने से बनी अस्थाई झील को खोलने के प्रयास लगातार जारी हैं। वहीं, गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर लिमचागाड़ पुल बनने के बाद प्रभावित क्षेत्र तक सड़क संपर्क बहाल करने के लिए भी युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है।
मलबे में लापता लोगों की तलाश के लिए ग्राउंड पैनीट्रेटिंग रडार (जीपीआर) और रेस्क्यू रडार की मदद ली जा रही है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) से मिली जानकारी के अनुसार, धराली में खीरगाड़ का जलस्तर मंगलवार को फिर बढ़ गया जिससे खोज एवं बचाव दलों के आने-जाने हेतु लकड़ी और लोहे के पाइप से बनाई गयी छोटी लिंक पुलिया बह गयी। इसके अलावा, क्षेत्र में लापता लोगों की खोजबीन के लिए बनाये गए गड्ढों में पानी भर गया।
हालांकि, विपरीत परिस्थितियों में भी तलाश एवं बचाव दल अपनी पूरी क्षमता से प्रभावित क्षेत्र में जुटे हुए हैं।
ठीक एक सप्ताह पहले, पांच अगस्त को खीरगाड़ में अचानक आयी भीषण बाढ़ से धराली में कई होटल, मकान और होमस्टे जमींदोज हो गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि मौसम खुलते ही मातली हेलीपैड से हेलीकॉप्टरों से प्रभावित क्षेत्र के लिए खाद्य और राहत सामग्री की खेप भेजने का सिलसिला शुरू हो गया। चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी से भी हेलीकॉप्टरों के जरिये खाद्यान्न और ईंधन के साथ ही क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के लिए सीमा सड़क संगठन के प्रयोग हेतु वायरक्रेट्स भी हर्षिल भेजी गयी।
उन्होंने बताया कि धराली गांव की दो गर्भवती महिलाओं को हेलीकॉप्टर के माध्यम से मातली हेलीपैड पहुंचाया गया जहां से उन्हें उत्तरकाशी जिला अस्पताल भेजा गया।
मलबे में लापता लोगों की खोज का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। यूएसडीएमए के अनुसार, राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) की विशेष इंजीनियरिंग टीम क्षेत्र में जीपीआर की मदद से काम कर रही है जबकि चीता हेलीकॉप्टरों की टीम द्वारा संपूर्ण क्षेत्र में लिडार सर्वेक्षण किया गया है।
जीपीआर एक भू-भौतिकीय विधि है, जो सतह के नीचे कीचड़ और पानी की मौजूदगी में भी रेडियो तरंगों के माध्यम से मानव उपस्थिति का पता लगा सकती है। इस साल फरवरी में तेलंगाना में एसएलबीसी सुरंग हादसे में फंसे लोगों का पता लगाने के लिए जीपीआर का इस्तेमाल किया गया था।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के अनुसार, जीपीआर 50 मीटर गहराई तक मौजूद वस्तुओं का पता लगा सकता है। उन्होंने बताया कि अभी निचले क्षेत्रों में जीपीआर से स्कैनिंग की गई है और ढाई से तीन मीटर की गहराई में अब तक 20 जगहें ऐसी मिली हैं जहां भवनों या उस जैसे अन्य ढांचों का पता चला है। ऐसे में वहां किसी के जीवित या मृत मिलने की उम्मीद की जा सकती है।
एनडीआरएफ ने बताया कि जिंदगी के संकेत वाले स्थलों पर मशीनों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है और उन स्थलों को चिह्नित कर हाथ से प्रयोग किए जाने वाले औजारों से खुदाई की जा रही है।
तलाश अभियान को और सुदृढ़ करने के लिए रेस्क्यू रडार को भी मौके पर उतार दिया गया है। इस उपकरण का प्रयोग कर रहे एरिका इंजीनियरिंग के एक तकनीकी अधिकारी के अनुसार, रेस्क्यू रडार भी रेडियो तरंगों पर काम करता है।
उन्होंने बताया कि धराली के मलबे से भरे विभिन्न क्षेत्रों में सोमवार को भी इसका प्रयोग किया गया था लेकिन शाम तक इसके माध्यम से कोई संकेत नहीं मिल सका।
एनडीआरएफ के अधिकारियों के अनुसार जब तक मलबे से भरे पूरे क्षेत्र को चिह्नित नहीं कर दिया जाता, तब तक जीपीआर और रेस्क्यू रडार जैसे उपकरणों का प्रयोग किया जाता रहेगा।
हालांकि, प्रभावित क्षेत्र में मलबे में लापता लोगों के जीवित होने की संभावना समय बीतने के साथ और कम होती जा रही है।
गढ़वाल मंडल के आयुक्त विनय शंकर पाण्डेय ने सोमवार को आपदा में 43 लोगों के लापता होने की पुष्टि की जिसमें से धराली गांव के 32 वर्षीय आकाश पंवार का शव आपदा के अगले दिन बरामद हुआ था।
उन्होंने बताया कि शेष बचे लापता 42 लोगों में सेना के नौ जवानों के अलावा धराली गांव के आठ, आसपास के क्षेत्रों के पांच, टिहरी जिले का एक, बिहार के 13 और उत्तर प्रदेश के छह व्यक्ति शामिल हैं।
पाण्डेय ने बताया कि इनके अतिरिक्त 29 नेपाली मजदूरों के लापता होने की भी सूचना मिली थी हालांकि मोबाइल फोन नेटवर्क बहाल होने के बाद इनमें से पांच लोगों के साथ संपर्क हो चुका है।
उन्होंने बताया कि शेष 24 मजदूरों के संबंध में उनके ठेकेदारों से अधिक विवरण नहीं मिल पाया है और संबंधित ठेकेदारों से मजदूरों के बारे में जानकारी एकत्र करने को कहा गया है।
पाण्डेय ने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि इन पांच मजदूरों की तरह शेष अन्य मजदूर भी सुरक्षित हो सकते हैं। उन्होंने इस संबंध में याद दिलाया कि केदारनाथ आपदा के दौरान भी लापता बताए गए कई लोग प्रभावित क्षेत्र से वापस अपने घर पहुंच गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि आपदा प्रभावित 98 परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता के चेक दे दिए गए हैं। इसके अलावा प्रभावित लोगों के लिए बेहतर राहत एवं पुनर्वास पैकेज भी तैयार किया जा रहा है।
यूएसडीएमए के अनुसार, प्रभावित क्षेत्रों में फंसे 1,308 श्रद्धालुओं तथा स्थानीय लोगों को बाहर निकाला जा चुका है।
वहीं, आपदाग्रस्त क्षेत्र तक सड़क संपर्क बहाल करने का कार्य भी जोरों पर चल रहा है। यूएसडीएमए ने बताया कि गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर लिमचागाड़ में बेली पुल का निर्माण होने के बाद अब डबरानी से सोनगाड़ तथा हर्षिल से धराली के बीच बाधित मार्ग को अगले दो दिन में चालू कर दिया जाएगा।
यूएसडीएमए ने बताया कि आपदा के बाद हर्षिल हेलीपैड के निकट भागीरथी नदी का जलप्रवाह रूकने से बनी झील को नियंत्रित तरीके से खोलने के प्रयास यूजेवीएन लिमिटेड तथा सिंचाई विभाग द्वारा किए जा रहे हैं। इसमें सहयोग के लिए एनडीआरएफ की एक टीम को भी मौके पर भेजा जा रहा है।
लगातार झील का निरीक्षण कर रहे उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने भी कर्मियों का हाथ बंटाया।
उधर, मौसम विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों में मंगलवार को भारी से बहुत भारी बारिश होने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है।
देहरादून के मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा सुबह नौ बजे जारी पूर्वानुमान में देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल, बागेश्वर, चंपावत और उधमसिंह नगर जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना व्यक्त करते हुए 'ऑरेंज अलर्ट' तथा शेष जिलों में मध्यम से भारी बारिश का 'येलो अलर्ट' जारी किया गया है।
खराब मौसम की चेतावनी के मद्देनजर मंगलवार को देहरादून और चंपावत सहित कई अन्य जिलों में 12वीं कक्षा तक के स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया।
मौसम विभाग के अनुसार 14 अगस्त तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश की स्थिति बनी रहेगी जिसे देखते हुए राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने सभी जिलाधिकारियों से बारिश के मद्देनजर सावधानी बरते जाने के आदेश जारी किए हैं।
रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने भी बारिश की चेतावनी को देखते हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर 14 अगस्त तक केदारनाथ यात्रा पर रोक लगा दी है। चमोली जिला प्रशासन ने भी 15 अगस्त तक जिले में ट्रैकिंग पर रोक लगा दी है।
भाषा
सं, दीप्ति, रवि कांत