लोगों का गुस्सा जायज है, बचाव दल फंसे लोगों को बचाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे: उमर अब्दुल्ला
खारी संतोष
- 16 Aug 2025, 04:23 PM
- Updated: 04:23 PM
चशोती (जम्मू-कश्मीर), 16 अगस्त (भाषा) जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि वे बादल फटने की घटना के बाद अपने-अपने परिजनों की जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे लोगों के गुस्सा को अच्छी तरह समझ सकते हैं।
यह बात उन्होंने तब कही जब चशोती में कई स्थानीय लोगों ने उन्हें घेर लिया और अपनी नाराजगी जाहिर की।
उन्होंने कहा कि बचाव अभियान का मुख्य ध्यान मलबे में फंसे लोगों को तलाशना है।
गावं में समन्वित बचाव और राहत अभियान जारी है। इस बीच 70 से 80 लोगों के लापता होने की सूचना उनके परिवारों ने दी है। स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अचानक आई बाढ़ में सैकड़ों लोगों के बहने और बड़े-बड़े पत्थरों, लकड़ियों तथा मलबे के नीचे दबने की आशंका है।
अब्दुल्ला शनिवार सुबह कार से किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव पहुंचे। वहां उन्हें राहत और बचाव कार्यों से असंतुष्ट कुछ लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी से जानकारी लेने और नुकसान का आकलन करने के बाद मुख्यमंत्री ने नाले के दोनों किनारों पर रहने वाले कई प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। यह नाला लकड़ियों से बने एक अस्थायी पुल के जरिए जुड़ा हुआ है।
सैकड़ों लोगों ने अब्दुल्ला के सामने अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने लोगों को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा कि वह खुद भी चाहते हैं कि राहत और बचाव कार्य जल्द से जल्द पूरा हो।
मुख्यमंत्री ने लोगों की शिकायतें सुनने के लिए उन्हें पास के एक टेंट में आने को कहा लेकिन कुछ लोग ऐसा करने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद अब्दुल्ला वहां से चले गए।
वापसी के दौरान उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं उनका गुस्सा समझ सकता हूं। वे पिछले दो दिनों से अपने लापता परिवार के सदस्यों का इंतजार कर रहे हैं। वे जवाब चाहते हैं। वे जानना चाहते हैं कि उनके परिवार के सदस्य जिंदा हैं या नहीं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों की मांग है कि अगर लापता लोग अब जीवित नहीं हैं, तो उनके शव जल्द से जल्द अंतिम संस्कार के लिए उन्हें सौंप दिए जाएं।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हम जितनी ताकत झोंक सकते थे, उतनी झोंक दी। चाहे वह राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) हो या राज्य आपदा मोचन बल, सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस या केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सभी को काम पर लगाया। हम फंसे लोगों को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। और जहां बचाव संभव नहीं है, वहां कम से कम हम शवों को निकालकर उनके परिवारों को सौंपेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस समय यह वास्तव में राहत अभियान नहीं है। हमारी पूरी कोशिश लोगों को बचाने पर है। उसके बाद हमारा लक्ष्य होगा जितना ज्यादा संभव हो सके, उतने शवों को बरामद करना।’’
उन्होंने कहा कि मृतकों की संख्या लगभग 60 है, जबकि लापता लोगों की संख्या 70 से 80 के बीच है।
उन्होंने कहा, ‘‘संख्या थोड़ी ऊपर-नीचे हो सकती है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह संख्या 500 या 1,000 तक पहुंच जाएगी, जैसा कि कहा जा रहा है। इस समय यह संख्या 80 है जो एक बड़ी संख्या है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों के घर आंशिक या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें तत्काल राहत प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर मैं गलत नहीं हूं तो उपायुक्त के पास जो 36 लाख रुपये थे वह पहले ही वितरित कर दिए गए हैं। मैंने अपने कार्यालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव से बात की है और उन्हें निर्देश दिया है कि तुरंत मुख्यमंत्री राहत कोष से धनराशि जारी करें ताकि उन्हें उपायुक्त को उपलब्ध कराया जा सके।’’
प्रभावित परिवारों को सुरक्षित जगह ले जाने के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी ऐसी कोई योजना नहीं है, लेकिन कुछ ग्रामीणों ने इसकी मांग की है।
उन्होंने कहा, ‘‘स्थानांतरित करना है या नहीं, किन परिस्थितियों में स्थानांतरित करना है, कहां स्थानांतरित करना है, मुझे लगता है कि इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम आकर हमें बताएगी। क्या होगा अगर हम उन्हें यहां से ऐसी जगह स्थानांतरित कर दें जहां ज्यादा खतरा हो? क्या हम उन्हें पास में कोई ऐसी जगह दे सकते हैं जहां वे रह सकें और खतरा कम हो? हम इन सभी बातों पर विचार करेंगे।’’
किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव में बृहस्पतिवार को बादल फटने से यह हादसा हुआ। मचैल माता मंदिर मार्ग में पड़ने वाले चशोती गांव में यह आपदा अपराह्न 12 बजकर 25 मिनट पर हुई। जिस समय हादसा हुआ, उस समय मचैल माता मंदिर यात्रा के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र थे। यह यात्रा 25 जुलाई को शुरू हुई थी और पांच सितंबर को समाप्त होनी थी।
अचानक आई बाढ़ के कारण कम से कम 16 आवासीय मकान एवं सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पवन चक्की, 30 मीटर लंबा एक पुल तथा 12 से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
मचैल माता मंदिर यात्रा शनिवार को लगातार तीसरे दिन स्थगित रही। यह मंदिर 9,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने का 8.5 किलोमीटर का रास्ता किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर चशोती से शुरू होता है।
भाषा
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