जम्मू-कश्मीर में बादल फटा: लापता लोगों की तलाश तीसरे दिन भी जारी
देवेंद्र माधव
- 16 Aug 2025, 05:26 PM
- Updated: 05:26 PM
(तारिक सोफी)
जम्मू, 16 अगस्त (भाषा) जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ जिले के सुदूर गांव चशोती में बादल फटने की घटना के दो दिन बाद, लापता लोगों के चिंतित रिश्तेदारों की उम्मीदें अब धुंधली होती जा रही हैं।
तीसरे दिन भी बचाव कार्य जारी रहने के बीच, शोकाकुल रिश्तेदारों ने कहा कि उनकी उम्मीदें कम होती जा रही हैं, क्योंकि हर बीतता घंटा पीड़ितों के बचने की संभावना को कम करता जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पड्डेर उप-मंडल के एक गांव में बृहस्पतिवार की दोपहर बादल फटने से आई बाढ़ के बाद अब तक 82 लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनमें 81 तीर्थयात्री और सीआईएसएफ का एक कर्मी शामिल हैं।
जम्मू, उधमपुर और सांबा जिलों में सबसे अधिक 60 लोग लापता हैं।
हरियाणा और मध्य प्रदेश के चार-चार लोग और हिमाचल प्रदेश का एक व्यक्ति भी उन लोगों में शामिल हैं, जिनके लापता होने की सूचना उनके रिश्तेदारों ने दी है, जबकि बाकी लोग जम्मू-कश्मीर के डोडा, रियासी और राजौरी जिलों के हैं।
यह आपदा 14 अगस्त को अपराह्र लगभग 12.25 बजे मचैल माता मंदिर के मार्ग पर स्थित चशोती गांव में आई, जिसमें 60 लोग मारे गए और 100 से अधिक अन्य घायल हो गए।
अचानक आई बाढ़ में कम से कम 16 मकान और सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पनचक्कियां, 30 मीटर लंबा पुल और 12 से अधिक वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए।
जिस समय हादसा हुआ, उस समय मचैल माता मंदिर यात्रा के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र थे। यह यात्रा 25 जुलाई को शुरू हुई थी और पांच सितंबर को समाप्त होनी थी।
मचैल माता यात्रा शनिवार को लगातार तीसरे दिन स्थगित रही। यह मंदिर 9,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने का 8.5 किलोमीटर का रास्ता किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर चशोती से शुरू होता है।
जम्मू के बाहरी इलाके में स्थित बेनागढ़ गांव में शोक संतप्त स्थानीय लोग उन सात लोगों की खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जिनमें चार बच्चे भी शामिल हैं, जो आपदा के बाद लापता हो गए थे।
एक रिश्तेदार अजय कुमार ने कहा, ‘‘पूरा गांव शोक में है। हमें उम्मीद है कि बचावकर्मी उन्हें जीवित ढूंढ लेंगे।’’
लापता लोगों में शामिल वंशिका और दिशा के माता-पिता किश्तवाड़ से जम्मू पहुंचे, जहां उनके माता-पिता बेहद सदमे में थे। अपने रिश्तेदारों को देखकर, जो उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे, वे रो पड़े।
विलाप करती हुई मां ने कहा, ‘‘मैंने अपनी आंखों के सामने अपनी दुनिया को टूटते देखा। मेरी बेटियां मुझसे दूर चली गईं।’’
लड़कियों के पिता ने बताया कि वह अपनी बेटियों को ढूंढ़ने के लिए हर अस्पताल और मुर्दाघर गए। उन्होंने कांपती आवाज में कहा, ‘‘मैंने एक सिरविहीन लाश देखी है, लेकिन वह मेरी बेटियों की नहीं थी।’’
तीन अन्य लोगों के साथ लापता बताए गए हैप्पी शर्मा का पार्थिव शरीर शुक्रवार को जम्मू के बिश्नाह इलाके में उनके घर पहुंचा। उनके एक रिश्तेदार दर्शनलाल ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार परमंडल में किया गया।
सांबा जिले के सराय गांव के पूर्व सरपंच सुरिंदर सिंह ने बताया कि पूनम नाम की एक महिला और उसकी बेटियां रशिका और नमिका लापता हैं।
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के एक जवान मनोज कुमार बिस्वाल भी लापता बताए जा रहे हैं।
बादल फटने से मची तबाही के बाद शनिवार को लगातार तीसरे दिन समन्वित बचाव और राहत अभियान जारी रहा।
अब तक 46 शवों की पहचान कर ली गई है और कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया है।
भाषा
देवेंद्र