'अगली पीढ़ी का जीएसटी' क्रमिक रूप से एकल कर स्लैब को बढ़ावा देगा: सूत्र
पाण्डेय
- 16 Aug 2025, 09:11 PM
- Updated: 09:11 PM
नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) जीएसटी कर में प्रस्तावित सुधारों को 'अगली पीढ़ी का जीएसटी' बताते हुए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि दो स्लैब वाली कर व्यवस्था क्रमिक रूप से एकल बिक्री/सेवा कर दर का रास्ता खोलेगी।
उन्होंने उम्मीद जताई कि 2047 तक एकल कर स्लैब हो सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित नयी जीएसटी व्यवस्था, जिसमें कर दरों को कम करते हुए केवल पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो स्लैब निर्धारित किए गए हैं, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी और शुल्क के खतरों को भी कम करने में मदद करेगी।
अगर जीएसटी परिषद द्वारा प्रस्तावित दो स्लैब वाली व्यवस्था को मंजूरी मिल जाती है, तो यह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के मौजूदा चार स्लैब की जगह ले लेगी। इसके साथ ही 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के स्लैब खत्म हो जाएंगे।
इसे ''अगली पीढ़ी का जीएसटी'' बताते हुए एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ''यह एक क्रांतिकारी सुधार है। भारत में देखे गए आर्थिक सुधारों की श्रेणी में, यह सबसे ऊपर है।'' अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर यह बात कही।
उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था का अर्थ यह होगा कि लगभग सभी सामान्य उपयोग की वस्तुएं निम्न कर श्रेणी में आ जाएंगी, जिससे कीमतों में कमी आएगी और उपभोग को बढ़ावा मिलेगा।
अधिकारी ने कहा, ''कर कम होने का मतलब है कि लोगों की जेब में ज़्यादा पैसा आएगा। इससे ज़ाहिर है खपत बढ़ेगी।''
अधिकारियों ने इस कवायद के पीछे के तर्क को समझाते हुए कहा कि सरकार द्वारा रोज़मर्रा की ज़रूरी और सामान्य वस्तुओं पर पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने तथा बुरी समझे जाने वाली वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव एक बड़ा और सोच-समझकर उठाया गया कदम है।
लगभग छह महीने की लगातार बैठकों और विचार-विमर्श के बाद किए गए इन बदलावों को इस तरह से तैयार किया गया है कि बार-बार कर दरों को बदलने की ज़रूरत न पड़े और कर में कटौती (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का पैसा कहीं अटका न रहे।
अधिकारियों ने कहा कि जैसे ही केंद्र का प्रस्ताव मंत्रियों के समूह (जीओएम) और जीएसटी परिषद से मंज़ूर हो जाएगा, कर दरों में बार-बार होने वाले उतार-चढ़ाव खत्म हो जाएंगे और व्यवस्था स्थिर हो जाएगी।
अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ''हमने अगली पीढ़ी के जीएसटी का सुझाव मध्यम वर्ग, गरीबों, किसानों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को ध्यान में रखकर दिया है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों पर कर कम रहे।''
अधिकारी ने कहा, ''जब यह व्यवस्था पूरी तरह लागू हो जाएगी और भारत विकसित देश बन जाएगा, तब हम एक ही दर वाला जीएसटी लागू करने पर विचार कर सकते हैं। एक ही दर वाली व्यवस्था विकसित देशों के लिए ठीक रहती है, क्योंकि वहां आमदनी और खर्च करने की क्षमता लगभग समान होती है।''
अधिकारी ने कहा, ''अंतिम लक्ष्य एक ही कर स्लैब वाली व्यवस्था लाना है, लेकिन फिलहाल इसके लिए सही समय नहीं है।''
अधिकारी ने कहा कि बदलाव की इस पूरी प्रक्रिया में हर नियम-कायदे का पालन किया जा रहा है। केंद्र सरकार नेतृत्व की भूमिका निभा रही है, लेकिन संवैधानिक जिम्मेदारी निभाते हुए दरों में संतुलन का काम मंत्रियों के समूह (जीओएम) के साथ मिलकर कर रही है।
अधिकारी ने कहा, ''हमने हर एक वस्तु को बारीकी से देखा है और कई मामलों में तीन-चार बार विचार भी किया है। चाहे किसानों के लिए कीटनाशक हों, छात्रों के लिए पेंसिल या एमएसएमई के लिए कच्चा माल—हर वस्तु पर विस्तार से चर्चा की गई है और उसे आवश्यक या सामान्य वस्तुओं की श्रेणी में रखा गया है।''
जीएसटी की संशोधित व्यवस्था के दिवाली तक लागू हो जाने का अनुमान है। केंद्र सरकार ने जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए गठित राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह को अपना यह प्रस्ताव भेजा है। इसमें 12 और 28 प्रतिशत की मौजूदा कर दरों को हटा दिया गया है।
वहीं, संशोधित जीएसटी व्यवस्था में दो कर स्लैब के अलावा विलासिता एवं नुकसानदेह वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की एक विशेष दर रखने का प्रस्ताव रखा गया है।
अब मंत्रियों का समूह इस प्रस्ताव पर चर्चा करेगा और उसके आधार पर अपनी अनुशंसा जीएसटी परिषद के समक्ष रखेगा। जीएसटी परिषद की बैठक अगले महीने होने की उम्मीद है।
फिलहाल आवश्यक खाद्य वस्तुओं पर शून्य प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है जबकि दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर पांच प्रतिशत, मानक वस्तुओं पर 12 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों एवं सेवाओं पर 18 प्रतिशत और विलासिता एवं नुकसानदेह वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है।
सूत्रों ने बताया कि इस साल दिवाली तक मौजूदा अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की जगह लेने के लिए तैयार इस संशोधित प्रारूप में पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो कर दरें ही प्रस्तावित की गई हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन के दौरान दिवाली तक जीएसटी दरों में काफी कमी किए जाने की घोषणा करते हुए कहा कि इससे आम लोगों और छोटे एवं मझोले उद्योगों को राहत मिलेगी।
एक सूत्र ने तीसरी तिमाही की शुरुआत में इसके लागू हो जाने की उम्मीद जताते हुए कहा, "कर दरों में बदलाव से राजस्व में फर्क आएगा लेकिन उसकी भरपाई अगले कुछ महीनों में हो जाएगी।"
भाषा