नदी जल बंटवारे के मुद्दे पर हरियाणा में सर्वदलीय बैठक हुई, पंजाब से ‘बिना शर्त’ पानी छोड़ने की मांग
राजकुमार पारुल
- 04 May 2025, 01:04 AM
- Updated: 01:04 AM
चंडीगढ़, तीन मई (भाषा) जल बंटवारे को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच गतिरोध शनिवार को और बढ़ गया, जब पंजाब सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की बैठक का बहिष्कार किया तथा हरियाणा में सर्वदलीय बैठक में पंजाब सरकार से बिना शर्त जल छोड़ने को कहा गया।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करने के बाद पंजाब सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के पानी छोड़ने के निर्देश का पालन न करना ‘‘असंवैधानिक, अमानवीय’’ और संविधान के संघीय ढांचे पर हमला है।
उन्होंने दावा किया कि उनका राज्य पेयजल संकट का सामना कर रहा है और पंजाब सरकार की कार्रवाई दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की हार से जुड़ी हुई है।
यह बयान पंजाब में एक सर्वदलीय बैठक के एक दिन बाद आया है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा भाजपा शासित हरियाणा को और अधिक पानी देने से इनकार करने का समर्थन किया गया था।
इस बीच, भाखड़ा बांधस्थल पर पंजाब पुलिस की कथित तैनाती के खिलाफ शनिवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई, जिसमें दावा किया गया कि पंजाब सरकार हरियाणा को पानी छोड़ने में बाधा डाल रही है।
‘आप’ शासित पंजाब ने भाजपा शासित हरियाणा को और पानी छोड़ने से इनकार कर दिया है। उसने दावा किया कि पड़ोसी राज्य ‘‘मार्च तक आवंटित पानी का 103 प्रतिशत पहले ही इस्तेमाल कर चुका है।’’
केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने शुक्रवार को बीबीएमबी के उस निर्णय का समर्थन किया था, जिसमें राज्य की तत्काल जल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अगले आठ दिनों के लिए भाखड़ा बांध से हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया था।
बोर्ड ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी जारी करने की रूपरेखा तय करने के लिए शनिवार शाम को बैठक बुलाई थी, लेकिन पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने इसे ‘असंवैधानिक’ बताया। गोयल ने कहा कि राज्य सरकार ने बीबीएमबी की बैठक का ‘बहिष्कार’ किया।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी नीत हरियाणा सरकार ने शनिवार को यहां सर्वदलीय बैठक की और इसमें पड़ोसी राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार से भाखड़ा बांध से ‘‘बिना शर्त’’ पानी छोड़ने की अनुमति देने का आग्रह किया गया।
बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें पंजाब सरकार से अपील की गई कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की तकनीकी समिति द्वारा 23 अप्रैल तथा 30 अप्रैल को लिए गए निर्णयों को बिना शर्त तत्काल लागू किया जाए।
राज्य के अधिकारों की रक्षा करने का संकल्प जताते हुए सैनी ने कहा कि ‘‘हमारा रास्ता टकराव का नहीं, बल्कि सहयोग का है।’’ उन्होंने भगवंत मान सरकार से ‘‘पड़ोसी के दर्द को समझने’’ का आग्रह किया।
सैनी ने कहा, ‘‘उन्हें (पंजाब सरकार) पानी छोड़ने पर अमानवीय, असंवैधानिक, अवैध और अनुचित प्रतिबंध को तुरंत हटाना चाहिए। हम कोई भी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं।’’
शनिवार को हुई बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, राज्य की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी, कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा, ऊर्जा मंत्री अनिल विज, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडौली, कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उदय भान, जननायक जनता पार्टी (जजपा) के दुष्यंत चौटाला, आम आदमी पार्टी (आप) के सुशील गुप्ता और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के रामपाल माजरा मौजूद थे।
इससे एक दिन पहले, पंजाब में आप सरकार ने भी इसी तरह की बैठक की जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई सहित विभिन्न दलों ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई।
पंजाब सरकार ने भाजपा शासित हरियाणा को और अधिक पानी देने से इनकार कर दिया है, जिससे नया विवाद पैदा हो गया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा था कि उनकी सरकार पड़ोसी राज्य को और पानी छोड़ने की अनुमति नहीं देगी। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा पहले ही अपने आवंटित हिस्से का 103 प्रतिशत उपयोग कर चुका है।
मान ने कहा था कि पंजाब सरकार ने मानवीय आधार पर छह अप्रैल से हरियाणा को प्रतिदिन 4,000 क्यूसेक पानी आवंटित किया है।
भाषा राजकुमार