दिल्ली दंगे: अदालत ने इशरत जहां के खिलाफ याचिका पर अधीनस्थ अदालत का रिकॉर्ड मांगा
संतोष अविनाश
- 09 May 2025, 08:19 PM
- Updated: 08:19 PM
नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी 2020 के दंगों से संबंधित एक आतंकी मामले में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को दी गई जमानत के खिलाफ दायर याचिका पर शुक्रवार को अधीनस्थ अदालत का रिकॉर्ड मांगा।
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने कहा, ‘‘डिजिटल प्रारूप में अधीनस्थ अदालत का रिकॉर्ड (टीसीआर) मंगाया जाए।’’
अदालत ने इशरत की जमानत के खिलाफ 2022 में दायर याचिका पर सुनवाई 18 जुलाई तक के लिए टाल दी। इशरत जहां और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों का मुख्य साजिशकर्ता होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), 2019 और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि 14 मार्च, 2022 को इशरत जहां को जमानत देने वाली अधीनस्थ अदालत का आदेश विपरीत और कानून के खिलाफ था और अपराध की गंभीरता और उन सबूतों को ध्यान में नहीं रखा गया, जिनमें बताया गया है कि हिंसा उसकी और अन्य आरोपी व्यक्तियों द्वारा रची गई साजिश के बाद भड़की थी।
अपील में कहा गया है, ‘‘अधीनस्थ अदालत ने इस तथ्य को नजरअंदाज़ कर दिया कि इन दंगों में कई लोगों की जान चली गई थी और इसने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था और राष्ट्रीय सुरक्षा को जोखिम में डालने के अलावा सार्वजनिक व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाया था, इनका असर सिर्फ कुछ लोगों तक सीमित नहीं था बल्कि इसने आम जनता के व्यापक वर्ग को प्रभावित किया था।’’
अपील में दावा किया गया कि अभियुक्तों द्वारा किया गया ‘विघटनकारी चक्का-जाम’ एक आतंकवादी कृत्य था।
अधीनस्थ अदालत ने 14 मार्च, 2022 को कहा था कि इशरत जहां ने प्रथम दृष्टया कानूनी प्रतिबंधों के बावजूद अदालत को जमानत देने के लिए राजी किया। आरोपपत्रों और गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि जहां ने न तो ‘चक्का-जाम का विचार दिया’ और न ही वह किसी भी आपत्तिजनक व्हाट्सएप ग्रुप या संगठन की सदस्य थीं।
अदालत ने कहा कि इशरत जहां खुरेजी इलाके में विरोध स्थल पर शामिल थी, जो हिंसा के केंद्र में स्थित नहीं था और वह दंगों के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में प्रत्यक्ष रूप से मौजूद नहीं थी।
इस मामले में इशरत जहां के अलावा कार्यकर्ता खालिद सैफी, उमर खालिद, जेएनयू छात्र नताशा नरवाल और देवांगना कलिता, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य के खिलाफ भी कड़े कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।
भाषा संतोष