कमांडो, साइबर अपराध में प्रशिक्षित 1,308 रंगरूट दिल्ली पुलिस अकादमी से ‘पास आउट’ हुए
अमित रंजन
- 19 May 2025, 06:24 PM
- Updated: 06:24 PM
नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) नये आपराधिक कानून, साइबर अपराध प्रतिवाद, निहत्थे मुकाबला तकनीक और कमांडो रणनीति में प्रशिक्षित 1,308 रंगरूट पुरुष कांस्टेबल दिल्ली पुलिस अकादमी से ‘पास आउट’ हुए हैं। एक सरकारी बयान में इसकी जानकारी दी गयी है।
दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा कि बैच संख्या 124 में भर्ती होने वाले कांस्टेबल की कुल संख्या 4,088 है। बयान में कहा गया है कि शेष 2,780 कांस्टेबल मंगलवार को शपथ लेंगे और पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेंगे।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि इन रंगरूटों को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के साथ समन्वय में आपदा प्रबंधन कौशल से भी लैस किया गया है, इसके अलावा उन्हें आधुनिक पुलिसिंग उपकरणों, सामुदायिक सहभागिता और व्यावहारिक कौशल में भी प्रशिक्षित किया गया है।
उसने कहा कि प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के शैक्षणिक आधार में संवैधानिक कानून, अपराध विज्ञान, जांच प्रक्रिया, फोरेंसिक विज्ञान और नये आपराधिक कानूनों पर विशेष ध्यान देने वाला मॉड्यूल शामिल था।
विशेष पुलिस आयुक्त (सार्वजनिक परिवहन सुरक्षा प्रभाग) रॉबिन हिबू ने एक बयान में कहा, ‘‘साइबर अपराध के प्रति जागरूकता अकादमिक मॉड्यूल का एक प्रमुख घटक था, जिसमें डिजिटल फोरेंसिक और ऑनलाइन खतरा शमन शामिल है। शारीरिक प्रशिक्षण में व्यापक अभ्यास, आत्मरक्षा तकनीक और कमांडो-शैली के फील्डक्राफ्ट शामिल थे, जिसमें घात लगाने की रणनीति, छापे की प्रक्रिया और शहरी हस्तक्षेप तकनीक शामिल थी।’’
हिबू ने बयान में कहा, ‘‘इन कॉन्स्टेबल ने अपने कमांडो कोर्स के हिस्से के रूप में विस्फोटक और आईईडी से निपटने का प्रशिक्षण भी लिया।’’
अधिकारी ने कहा कि एक व्यापक पासिंग आउट परेड आयोजित की गई थी, जिसमें 14 टुकड़ियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि टुकड़ी संख्या 14 को सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग टुकड़ी घोषित किया गया।
बयान में कहा गया है कि नये भर्ती हुए कांस्टेबल विविध शैक्षणिक पृष्ठभूमि से आते हैं। बयान में कहा गया है कि 1,308 कांस्टेबल में से 42 स्नातकोत्तर हैं, जिनमें एमए, एमकॉम, एमएससी और एमबीए डिग्री धारक शामिल हैं। बयान के अनुसार इसके अतिरिक्त, 738 कांस्टेबल स्नातक हैं, जिनकी योग्यता बीटेक, बीएड और एलएलबी तक है।
पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि प्रशिक्षण अवधि के दौरान नियमित रूप से कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित किए गए, जिनमें एनजीओ और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के विशेषज्ञ शामिल थे। उन्होंने कहा कि सत्रों में आपदा प्रतिक्रिया, आर्थिक अपराध, पशु संरक्षण और तनाव और क्रोध प्रबंधन सहित मनोवैज्ञानिक कल्याण को शामिल किया गया।
भाषा अमित