वृद्धि की रफ्तार लगातार बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता: सीतारमण
पाण्डेय
- 26 Jul 2025, 09:10 PM
- Updated: 09:10 PM
नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच वृद्धि की रफ्तार बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक पूंजीगत व्यय आर्थिक वृद्धि के प्रेरकों में शामिल है। यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। यह वृद्धि चार वर्षों में सबसे धीमी थी। इससे पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में वृद्धि 9.2 प्रतिशत थी।
आर्थिक समीक्षा ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है।
सीतारमण ने यहां एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा, ''वृद्धि को बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है। वृद्धि सर्वोपरि है, और इसलिए यह रोजगार सृजन के तरीके से भी जुड़ा होगा।''
उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत को प्रासंगिक बनाए रखना, नेतृत्व की स्थिति में बने रहना और अन्य देशों के साथ आगे बढ़ना भी प्राथमिकताओं में शामिल है।
उन्होंने वैश्विक दक्षिण की आवाज को फिर से परिभाषित करने की जरूरत पर भी जोर दिया।
उन्होंने 'ए वर्ल्ड इन फ्लक्स: इंडियाज इकोनॉमिक प्रायोरिटीज' नामक पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि राजकोषीय बाधाओं के बीच घरेलू आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संसाधन ढूंढना एक और प्राथमिकता है।
उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में वृद्धि टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के प्राथमिक चालकों में से एक है।
वित्त मंत्री ने कहा, ''सार्वजनिक निवेश ने गति बनाए रखी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्पष्ट निर्देश रहा है कि हमें पूंजीगत व्यय को बढ़ाना है और उल्लेखनीय रूप से बढ़ाना है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के प्राथमिक चालकों में से एक है।''
सरकार का दूसरा मुख्य ध्यान एक अनुकूल और आकर्षक एफडीआई नीति के जरिये वृद्धि को बढ़ावा देना है, ताकि भारत में अधिक से अधिक निवेश हो सके।
उन्होंने कहा कि निवेश आकर्षित करने के लिए राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी एक अच्छा संकेत है।
सीतारमण ने द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के बारे में कहा कि ऐसे समझौते बहुपक्षीय व्यापार समझौतों के मुकाबले प्राथमिकता पर हैं।
उन्होंने कहा, ''द्विपक्षीय व्यापार के मोर्चे पर, हम आगे बढ़ रहे हैं और हमने पिछले चार-पांच वर्षों में ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ भी बातचीत अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है।''
चीन के साथ संबंधों के बारे में पूछने पर सीतारमण ने कहा कि यह थोड़ा बेहतर हो रहा है, और हाल ही में विदेश मंत्री की यात्रा से इसकी शुरुआत हो गई है।
उन्होंने कहा, ''हमें और अधिक पहुंच की जरूरत है। हमें और अधिक बातचीत करने की आवश्यकता है। यह केवल हमारी ओर से नहीं है, बल्कि चीन के लोग भी विदेश मंत्रालय के माध्यम से संपर्क कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा, ''विदेश मंत्री एस जयशंकर गए थे। यह एक तरह की शुरुआत है। यह हमें कितनी दूर तक ले जाएगा, यह देखने के लिए हमें इंतजार करना होगा। इससे अर्थव्यवस्था को मदद मिल सकती है, हालांकि, सावधानी से आगे बढ़ना होगा।''
भाषा