विभिन्न दलों के नेताओं ने उत्तरकाशी में आयी विनाशकारी बाढ़ को लेकर दुख व्यक्त किया
प्रीति सुभाष
- 06 Aug 2025, 03:32 PM
- Updated: 03:32 PM
नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने के कारण आयी विनाशकारी बाढ़ से जानमाल की क्षति होने पर विभिन्न दलों के नेताओं ने बुधवार को दुख व्यक्त किया। वहीं, कांग्रेस की एक सांसद ने दावा किया कि यह त्रासदी केंद्र की चारधाम यात्रा राजमार्ग परियोजना के तहत सड़कों को चौड़ा किये जाने का भी परिणाम है।
इस बीच, जिले में बाढ़ से तबाह हुए धराली गांव में मलबे से एक व्यक्ति का शव निकाला गया, जबकि कई लापता लोगों की तलाश बुधवार को बारिश के बीच फिर से शुरू की गई।
उत्तरकाशी के धराली गांव का लगभग आधा हिस्सा मंगलवार दोपहर अचानक आयी बाढ़ के कारण तबाह हो गया।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने इस घटना को ‘‘अत्यंत दुखद” करार दिया और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने की अपील की।
उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, “हर साल हम ऐसी आपदाओं का सामना कर रहे हैं, चाहे हिमाचल हो, उत्तराखंड हो या वायनाड (केरल) हो। हमें इनकी रोकथाम के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है। हमने वायनाड में देखा कि कैसे प्रशासन और राजनीतिक दलों ने मिलकर समय रहते लोगों को निकालने की योजना बनाई।”
कांग्रेस सांसद ने कहा, “यदि हम वहां ऐसा कर सकते हैं तो हर जगह क्यों नहीं कर सकते?”
समाजवादी पार्टी(सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि वक्त आ गया है कि हिमालय और उससे निकलने वाली नदियों को बचाने संबंधी समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर विचार किया जाए।
उन्होंने कहा, “सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरा पहाड़ी क्षेत्र बार-बार इतने व्यापक स्तर पर विनाश का सामना कर रहा है। हम सभी को एकजुट होकर इस दिशा में काम करने की जरुरत है।”
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद कंगना रनौत ने इस विनाशकारी बाढ़ को “दिल दहला देने वाला” करार दिया।
रनौत ने कहा, “हमारे पहाड़ी लोग लगातार डर के साये में जी रहे हैं। जब प्रकृति इतना कहर ढाती है तो आप सिर झुकाकर प्रार्थना ही कर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि राहत कार्य तेजी से आगे बढ़ेंगे और सरकार ने पूरी मदद का आश्वासन दिया है।”
कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने इस त्रासदी के लिए पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में अनियमित निर्माण को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, “हमने संसद के पिछले सत्र में, रक्षा और पर्यावरण मंत्रियों के समक्ष धराली जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में चारधाम यात्रा के लिए सड़कों को चौड़ा किये जाने को लेकर चिंता जताई थी। भागीरथी नदी के पास स्थित यह क्षेत्र पारिस्थितिकी के दृष्टिकोण से संवेदनशील है। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में कंक्रीट का उपयोग आपदा का कारण बन सकता है। यह एक मानव-निर्मित आपदा है।”
उन्होंने दावा किया कि धराली में रहने वाले लोगों का अनुमान है कि 200 से 400 लोग अब भी लापता हैं, जिनमें कई जवान भी शामिल हैं।
सांसद ने कहा, “यह सिर्फ राहत पहुंचाने की बात नहीं है। सरकार को आत्मावलोकन करना चाहिए कि ये भूस्खलन क्यों हो रहे हैं। स्थिति पर गंभीरता से ध्यान देने की जरुरत है।”
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने मांग की कि केंद्र सरकार को बाढ़ पीड़ितों को विशेष सहायता प्रदान करने के लिए एक पैकेज की व्यवस्था करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमें सावधानियां बरतने की जरुरत है, जैसे कि नदी किनारे घर या होटल बनाने की अनुमति न दी जाए। इस तरह, अगर बाढ़ भी आती है तो इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।”
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के प्रमुख वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी इस हादसे पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने की विनाशकारी घटना से अत्यंत दुखी हूं। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई और कई लोग लापता हो गए...मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और यह कामना करता हूं कि जो लोग लापता हैं वे मिल जाएं।”
वाईएसआरसीपी प्रमुख रेड्डी ने कहा कि उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ से वह बहुत हैरान हैं।
रेड्डी ने कहा, “इस कठिन समय में मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं।”
भाजपा की उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि उत्तरकाशी में लगातार बारिश हो रही है और मंगलवार की घटना ने सबको हैरान कर दिया है।
उन्होंने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, “केदारनाथ के बाद यह दूसरी बड़ी आपदा है। होटल और ‘होमस्टे’ मलबे में दब गए हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। हमें जल्द ही नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट मिल जाएगी।”
धराली, गंगोत्री धाम से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ता है और यात्रा का प्रमुख पड़ाव है।
इस घटना में चार लोगों की मौत होने की अब तक पुष्टि हुई है। वहीं, 130 से अधिक लोगों को बचा लिया गया है, जबकि कई लोगों के लापता होने की आशंका है।
भाषा प्रीति