कारोबारी सुशील अंसल के खिलाफ पासपोर्ट मामला : अदालत ने एवीयूटी को मदद करने की अनुमति दी
गोला पवनेश
- 06 Aug 2025, 05:16 PM
- Updated: 05:16 PM
नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने ‘एसोसिएशन ऑफ द विक्टिम्स ऑफ उपहार ट्रेजेडी’ (एवीयूटी) को कारोबारी सुशील अंसल के खिलाफ धोखाधड़ी के एक मामले में अभियोजन पक्ष की सहायता करने की अनुमति दे दी है।
अंसल को 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड में दोषी ठहराया गया था, जिसमें 59 लोग मारे गए थे।
एवीयूटीएस की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति ने मामले में अभियोजन पक्ष की सहायता के लिए एक आवेदन दायर किया था, जिसमें जांच और आरोपपत्र दाखिल करने में कुछ आपत्तियां उठाई गई थीं।
अंसल पर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने 2019 में पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 के तहत मामला दर्ज किया था, जो राष्ट्रीयता के बारे में जानकारी छिपाकर पासपोर्ट प्राप्त करने से संबंधित है।
प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की धारा 177 (जानबूझकर किसी लोक सेवक को गलत जानकारी देना) और 181 (लोक सेवक या शपथ दिलाने के लिए अधिकृत व्यक्ति को शपथ पर झूठा बयान देना), 192 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), 197 (झूठा प्रमाण पत्र जारी करना या हस्ताक्षर करना) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत भी दर्ज की गई थी।
चार अगस्त को एक आदेश में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रेया अग्रवाल ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में जिस एसोसिएशन के कहने पर कानून बनाया गया था, उसे अभियोजन पक्ष की सहायता करने का अधिकार मिलना चाहिए, जिस पर कानून में कोई रोक नहीं है।’’
न्यायाधीश ने कहा कि एवीयूटी को वर्तमान मामले में अभियोजन पक्ष की सहायता करने की स्वतंत्रता है तथा अभियुक्त के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने कहा कि वर्तमान मामला एवीयूटी द्वारा दायर एक रिट याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के माध्यम से पंजीकृत किया गया था और इसलिए एसोसिएशन को भागीदारी का प्रभावी अधिकार दिया जा सकता है।
इससे पहले, अपनी आठ पृष्ठ की अंतिम रिपोर्ट में पुलिस ने दावा किया था कि अंसल ने शपथ पत्र पर सरकारी प्राधिकारियों को गुमराह किया है कि उन्हें किसी भी अदालत द्वारा किसी भी आपराधिक कार्यवाही में दोषी नहीं ठहराया गया है।
यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर कृष्णमूर्ति की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अंसल ने अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए प्राधिकारियों से गलत जानकारी छिपाई या दी।
हालांकि, अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि अंसल ने 14 अगस्त, 2017 को अपना पासपोर्ट जमा कर दिया था, ‘‘क्योंकि उन्हें पता था कि उनके खिलाफ प्रतिकूल आदेश पारित किए जा सकते हैं।’’
इस अग्निकांड में अपने दो बच्चों को खोने वाली कृष्णमूर्ति पिछले दो दशकों से पीड़ित परिवारों की ओर से कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं।
भाषा
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