उच्चतम न्यायालय के खारिज किए गए मुद्दे पर पुराने आरोप दोहरा रहे हैं राहुल गांधी : निर्वाचन आयोग
शफीक रंजन
- 08 Aug 2025, 10:10 PM
- Updated: 10:10 PM
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर चुनाव अनियमितताओं के उन पुराने आरोपों को दोहराने का आरोप लगाया, जिनका निपटारा उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जा चुका है। आयोग ने कांग्रेस नेता से कहा कि वह मतदाता सूची में गलत प्रविष्टियों के अपने दावों पर शपथपत्र दें या माफी मांगें।
निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने कम से कम तीन राज्यों में ‘वोट चोरी’ के गांधी के आरोपों को ‘‘थकी हुई पटकथा’’ करार दिया और इसकी तुलना ‘‘पुरानी बोतल में नई शराब’’ से की।
सूत्रों ने बताया कि यह मुद्दा सबसे पहले 2018 में मध्य प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष कमलनाथ ने उठाया था, जिसका निपटारा शीर्ष अदालत ने कर दिया था।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेता जानते थे कि अदालत में यही ‘‘चाल’’ नहीं दोहराई जा सकती, इसलिए उन्होंने मतदाता सूची में अनियमितताओं का दावा करके लोगों को गुमराह करने की कोशिश की और तर्क दिया कि एक ही नाम अलग-अलग जगहों पर हैं।
सूत्रों ने कहा कि आदित्य श्रीवास्तव का नाम, जो कथित तौर पर तीन अलग-अलग राज्यों की मतदाता सूची में था, महीनों पहले ठीक कर दिया गया था।
सूत्रों ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया का लाभ उठाने के बजाय, गांधी ने मीडिया के सामने ‘‘निराधार दावे करके मामले को सनसनीखेज बनाने की कोशिश की।’’
निर्वाचन आयोग ने इन दावों को भी खारिज कर दिया कि विभिन्न राज्यों में उसकी वेबसाइट बंद हैं और उस पर उपलब्ध मतदाता सूची गायब है।
आयोग ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट में कोई समस्या नहीं है। लॉन्च होने के बाद से यह सुचारू रूप से काम कर रही है।’’
इस बीच, कांग्रेस नेता ने उनसे शपथपत्र पर हस्ताक्षर करने या माफी मांगने के लिए कहे जाने के बाद निर्वाचन आयोग पर पलटवार किया और कहा कि उन्होंने संसद के भीतर संविधान की शपथ ली है।
गांधी द्वारा कम से कम तीन राज्यों में वोट चोरी के आरोपों को लेकर निर्वाचन आयोग ने कहा कि अगर उन्हें अपने विश्लेषण पर विश्वास है और लगता है कि उसके खिलाफ लगाये गए आरोप सही हैं, तो उन्हें चुनावी नियमों के तहत शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने और मतदाता सूची में गलत तरीके से जोड़े गए या हटाये गए नामों को सौंपने में ‘‘कोई समस्या’’ नहीं होनी चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि हालांकि, अगर गांधी शपथ पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, तो इसका मतलब होगा कि उन्हें अपने विश्लेषण और उसके निष्कर्षों और ‘‘बेतुके आरोपों’’ पर विश्वास नहीं है। ऐसी स्थिति में उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
तीन राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) ने बृहस्पतिवार को गांधी से उन मतदाताओं के नाम साझा करने को कहा था, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया था कि उनके नाम मतदाता सूची में गलत तरीके से शामिल किये गए या हटा दिये गए। साथ ही, निर्वाचन अधिकारियों ने मामले में ‘‘आवश्यक कार्यवाही’’ शुरू करने के लिए हस्ताक्षरित शपथ पत्र भी मांगा।
‘एक्स’ पर एक ‘फैक्ट चेक’ पोस्ट में, निर्वाचन आयोग ने कहा कि राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट से मतदाता सूची को हटाया नहीं गया है और उसे कोई भी मतदाता डाउनलोड कर सकता है। आयोग एक सोशल मीडिया उपयोगकर्ता के पोस्ट का जवाब दे रहा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बृहस्पतिवार को गांधी के संवाददाता सम्मेलन के बाद कई राज्यों की ई-मतदाता सूचियां हटा दी गईं।
कांग्रेस नेता ने शुक्रवार को बेंगलुरु में ‘वोट अधिकार रैली’ में संविधान की प्रति दिखाते हुए कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग मुझसे हलफनामा मांगता है। वो कहता है कि मुझे शपथ लेनी होगी। मैंने संसद में संविधान की शपथ ली है।’’
उन्होंने दावा किया कि आज जब देश की जनता मतदाता सूची के डेटा को लेकर सवाल पूछ रही है तो निर्वाचन आयोग ने अपनी वेबसाइट ही बंद कर दी।
लोकसभा में विपक्ष के नेता ने बृहस्पतिवार को दावा किया था कि कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र में 1,00,250 मतों की ‘‘वोट चोरी’’ हुई है, जिसमें एक विधानसभा क्षेत्र में 11,965 डुप्लीकेट मतदाता हैं, 40,009 मतदाता फर्जी और अवैध पते वाले हैं, 10,452 मतदाता सामूहिक या एक जैसे पते वाले हैं, 4,132 मतदाता अवैध फोटो वाले हैं और 33,692 मतदाता नए मतदाताओं के फार्म 6 का दुरुपयोग कर रहे हैं।
भाषा शफीक