‘पाम तेल नहीं’ के बढ़ते दावे उपभोक्ताओं को गुमराह करते: ओटीएआई अध्यक्ष
राजेश राजेश रमण
- 11 Aug 2025, 06:39 PM
- Updated: 06:39 PM
नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) ऑयल टेक्नोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ओटीएआई) ने सोमवार को 'पाम तेल नहीं' के दावों के बढ़ते और व्यापक उपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के लेख वैज्ञानिक प्रमाणों की अनदेखी करती है और उपभोक्ताओं को गुमराह करती है।
ओटीएआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव चूरी ने एक बयान में कहा, ‘‘इस अभियान में पाम तेल को स्वाभाविक रूप से अस्वास्थ्यकर बताया जा रहा है जबकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। बल्कि, ये बाजार में अपनी अलग पहचान बनाने के उद्देश्य से बनाई गई रणनीति लगती है।’’
ओटीएआई- तिलहन, तेल, ओलियोकेमिकल्स, सर्फेक्टेंट और संबंधित उत्पादों के उत्पादन, प्रसंस्करण और अनुसंधान में कार्यरत प्रौद्योगिकीविदों, अनुसंधान रसायन विशेषज्ञों, प्रबंधकों, इंजीनियरों और उद्योगपतियों का एक उद्योग संघ है।
चूरी ने खाद्य उद्योग, नियामक निकायों और मीडिया से उपभोक्ताओं द्वारा सूचित निर्णय लेने को बढ़ावा देने और ‘निराधार दावों’ को जारी रखने से बचने का आग्रह किया।
ओटीएआई ने दावा किया कि पाम तेल का पोषण संबंधी विवरण गहन शोध द्वारा समर्थित है। इसमें संतृप्त और असंतृप्त वसा का लगभग बराबर संतुलन, शून्य ट्रांस वसा और कोई कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है।
चुरी ने कहा, ‘‘जब ज़िम्मेदारी से और संतुलित आहार के हिस्से के रूप में पाम तेल का उपयोग किया जाता है, तो यह किसी भी अन्य खाद्य तेल जितना ही सुरक्षित है।’’ उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि इसके उपयोग पर चर्चा आंकड़ों पर आधारित हो, न कि विपणन के लिए प्रचार पर।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पोषण की दृष्टि से स्वस्थ और दुनिया भर के आहार का एक प्रमुख हिस्सा होने के बावजूद, इसे अनुचित रूप से बदनाम किया गया है। इसे नकारात्मक रूप से प्रस्तुत करने से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक नहीं बनेंगे, यह केवल उपभोक्ताओं को भ्रमित करता है और खाद्य तेलों में भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को कमजोर करता है।’’
ओटीएआई ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा जारी भारत के वर्ष 2024 आहार दिशानिर्देश, संतुलित आहार के हिस्से के रूप में उपयोग किए जाने पर पाम तेल की भूमिका की पुष्टि करते हैं। संतुलित फैटी एसिड सेवन सुनिश्चित करने के लिए ताड़, मूंगफली, तिल, चावल की भूसी, सूरजमुखी आदि तेलों का उपयोग बारी-बारी से करने की सलाह दी जाती है।
वैश्विक स्तर पर, पाम तेल सबसे अधिक खपत वाला खाद्य तेल है। कुल भारतीय खाद्य तेल खपत में इसका महत्वपूर्ण योगदान, 40 प्रतिशत से भी अधिक है। सरकार की पहल, राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन - पाम ऑयल (एनएमईओ-ओपी), भी आयात निर्भरता को कम करने के लिए खाद्य तेलों, विशेष रूप से पाम तेल के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे रही है।
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