केंद्र ने ओछी राजनीति के कारण तमिलनाडु सरकार को दी जाने वाली शिक्षा निधि रोक दी: स्टालिन
देवेंद्र पवनेश
- 17 May 2025, 10:29 PM
- Updated: 10:29 PM
चेन्नई, 17 मई (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर अपनी ओछी राजनीति के कारण राज्य को मिलने वाली शिक्षा निधि को रोकने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी सरकार 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी करने के अनुरोध को लेकर उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी।
स्टालिन ने एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि तमिलनाडु सरकार ने त्रि-भाषा नीति पर सहमति नहीं जताई है, इसलिए केंद्र ने 2,152 करोड़ रुपये जारी नहीं किए हैं।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा नीत केंद्र ने अपनी ओछी राजनीति के कारण तमिलनाडु सरकार को दी जाने वाली शिक्षा निधि रोक दी है।’’
उन्होंने कहा कि यह धनराशि शिक्षा - छात्रों और शिक्षकों के लिए थी।
स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु सरकार केंद्र द्वारा शिक्षा निधि जारी न करने को चुनौती देने के लिए निश्चित रूप से उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राज्यपाल मामले में राज्य की सफलता की तरह, जिसमें विधेयकों पर राज्यपाल/राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय की गई थी, तमिलनाडु शिक्षा निधि से संबंधित मामले में भी जीत हासिल करेगा।
स्टालिन ने कहा कि शिक्षा को संविधान की राज्य सूची में लाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा और यदि शिक्षा को राज्य सूची में नहीं डाला गया तो यह सभी के लिए उपलब्ध नहीं होगी।
उन्होंने एक बार फिर इस विषय पर द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के रुख की पुष्टि की।
स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी द्वारा लिखित ‘‘एनईपी-2020 एनम मध्यायणई’’ (द रॉग एलीफेंट-एनईपी-2020) का विमोचन करते हुए स्टालिन ने कहा कि पुस्तक का शीर्षक पूरी सामग्री को व्यक्त करता है और यह बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि जहां तक भाजपा सरकार का सवाल है तो उसका इरादा हर चीज का भगवाकरण करना है और इसका पहला कदम शिक्षा है और इसी उद्देश्य से नयी शिक्षा नीति लाई गई है। उन्होंने कहा, ‘‘हम स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि भाजपा की योजनाओं, गतिविधियों और भविष्य की योजनाओं को देखने के बाद हम एनईपी को स्वीकार नहीं करेंगे।’’
स्टालिन ने कहा सबके लिए शिक्षा द्रविड़ मॉडल है और केवल चुनिंदा लोगों के लिए शिक्षा भाजपा का भगवा मॉडल है।
द्रविड़ आंदोलन की शुरुआत से लेकर पिछली एक शताब्दी से तमिलनाडु में शिक्षा पर दिए जा रहे ध्यान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ज्ञान हमारा हथियार है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एनईपी आरक्षण को नुकसान पहुंचाएगी। आरक्षण के अस्तित्व तक ही दबे-कुचले और पिछड़े लोगों को उच्च शिक्षा का मौका मिलेगा। एनईपी बहुलवादी संस्कृति को तहस-नहस कर देगी।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने खुद कहा है कि एनईपी के मद्देनजर संस्कृत का विकास होगा। उन्होंने कहा कि इससे आशंकाओं की पुष्टि हो गई है।
स्टालिन ने कहा, ‘‘यह तमिल समेत सभी राज्य भाषाओं को नष्ट करने का प्रयास है। इसे रोकने का एकमात्र तरीका शिक्षा को संविधान की राज्य सूची में वापस लाना है। इसके लिए संघर्ष तेज किया जाना चाहिए... यदि शिक्षा को राज्य सूची में नहीं लाया गया, तो शिक्षा सभी के लिए पहुंच से बाहर हो जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि शिक्षा का माध्यम और पाठ्यक्रम का प्रकार तय करने का अधिकार केवल राज्य सरकारों को होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, शिक्षा को राज्य सूची में लाने के लिए हमारा संघर्ष तब तक जारी रहना चाहिए जब तक यह लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता।’’
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को पुस्तक की पहली प्रति प्राप्त हुई। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश गोपाल गौड़ा, इसरो के पूर्व निदेशक मायिलसामी अन्नादुरई समेत अन्य लोगों को यह पुस्तक प्रदान की गई।
भाषा
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