पश्चिम बंगाल में हड़ताल समर्थकों एवं पुलिस के बीच झड़प, सरकार ने अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंध किए
गोला रंजन
- 09 Jul 2025, 06:07 PM
- Updated: 06:07 PM
(तस्वीरों के साथ जारी)
कोलकाता, नौ जुलाई (भाषा) केंद्रीय श्रमिक संगठनों की ओर से आहूत देशव्यापी आम हड़ताल के समर्थकों की पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर बुधवार को पुलिस के साथ झड़प हुई जबकि राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया कि इस दौरान जनजीवन प्रभावित न हो।
पश्चिम बंगाल में वाम दलों द्वारा समर्थित एवं 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत हड़ताल ‘‘उदारीकरण, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, बेरोजगारी, ठेका व्यवस्था और अन्य मुद्दों’’ के खिलाफ की जा रही है।
बंद के दौरान हिंसा को बिल्कुल न बर्दाश्त करने की अपनी नीति को दोहराते हुए पश्चिम बंगाल पुलिस ने हड़ताल समर्थकों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया और उन्हें उन स्थानों से जबरदस्ती हटाया, जहां वे जनजीवन को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे।
इन उपायों के बावजूद, हड़ताल के समर्थकों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में सड़कों और रेल की पटरियों को अवरुद्ध किया और कुछ इलाकों में दुकानों व प्रतिष्ठानों को बंद कराने की कोशिश की। हड़ताल को राज्य में मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली।
पूरे बंगाल में सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों की बैंकिंग सेवाएं बड़े पैमाने पर प्रभावित हुईं।
दक्षिण कोलकाता के गांगुली बागान इलाके में ‘डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (डीवाईएफआई) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) कार्यकर्ताओं ने सड़क पर धरना देने की कोशिश के दौरान पुलिस के साथ हाथापाई की। प्रदर्शनकारियों ने पुतले फूंके और टायरों में आग लगायी।
पुलिस ने ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) नेता सृजन भट्टाचार्य सहित कुछ हड़ताल समर्थकों को हिरासत में ले लिया। भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्हें हटाने के लिए बल प्रयोग किया।
भट्टाचार्य ने आरोप लगाया, ‘‘ममता बनर्जी की पुलिस ने खुद को तृणमूल कांग्रेस के हाथों बेच दिया है, जिसने बदले में अपनी आत्मा भाजपा को बेच दी है। यह हड़ताल भाजपा की नीतियों के खिलाफ बुलाई गई थी और देखिए तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हम पर कैसे कड़ा प्रहार किया। वे हमें हड़ताल के समर्थन में एक शांतिपूर्ण रैली भी नहीं करने देंगे।’’
शहर के उत्तरी हिस्से में कॉलेज स्ट्रीट चौराहे पर एसएफआई समर्थकों और पुलिस के बीच उस समय झड़प हो गई जब पुलिसकर्मियों ने सड़क पर लगे अवरोधकों को हटाने और कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने की कोशिश की।
बंद समर्थकों द्वारा जेल वैन से बंदियों को जबरन निकालने और पुलिस की पकड़ से छुड़ाने की कोशिशों के दौरान झड़प और बढ़ गयी।
हावड़ा के डोमजूर में जब हड़ताल समर्थकों ने सड़क बाधित करने की कोशिश की तो पुलिस को उन्हें हटाने के लिए लाठीचार्ज करते देखा गया।
उत्तर बंगाल में पुलिस ने नाकाबंदी करने की कोशिश कर रहे हड़ताल समर्थकों को सड़कों से हटा दिया। इस दौरान हुई झड़प में टीवी कैमरों में एक बंद समर्थक को एक पुलिस अधिकारी की टोपी उतारते हुए कैद कर लिया गया।
कैमरों ने दक्षिण दिनाजपुर जिले के बुनियादपुर इलाके में बंशीहारी पुलिस स्टेशन के आईसी को एक स्थानीय माकपा नेता मजीदुर रहमान को बहस के दौरान थप्पड़ मारते हुए भी कैद किया।
कोलकाता पुलिस की दक्षिण उपनगरीय संभाग की उपायुक्त बिदिशा कलिता दासगुप्ता और अन्य वरिष्ठ अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए मौके पर मौजूद रहे कि यातायात में कोई बाधा पैदा नहीं हो।
दासगुप्ता ने कहा, ‘‘स्थिति सामान्य है। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि यातायात में बाधा पैदा नहीं हो।’’
मालदा शहर में हड़ताल के समर्थन में मार्च निकाल रहे वामपंथी समर्थकों को रोक दिया गया।
हड़ताल समर्थकों ने राज्य में कुछ जगहों पर रेलगाड़ियों का परिचालन भी बाधित करने की कोशिश की।
हड़ताल सुबह छह बजे शुरू हुई और इसके समर्थकों ने पूर्वी रेलवे के सियालदह मंडल में सियालदह दक्षिण खंड के डायमंड हार्बर और उत्तर खंड के श्यामनगर में रेलगाड़ियों की आवाजाही रोकने की कोशिश की।
पश्चिम बंगाल सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए परिवहन एवं सुरक्षा के आवश्यक प्रबंध किए हैं कि 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत तथा राज्य में वामपंथी दलों द्वारा समर्थित देशव्यापी हड़ताल के दौरान जनजीवन प्रभावित न हो।
यातायात का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस की टुकड़ियां तैनात की गईं।
पश्चिम बंगाल में भारतीय ट्रेड यूनियन संघ (सीटू) के अध्यक्ष अनादि साहू ने बताया कि 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने ‘‘उदारीकरण, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, बेरोजगारी, ठेका व्यवस्था और अन्य मुद्दों’’ के खिलाफ आम हड़ताल का आह्वान किया है।
उन्होंने बताया कि वामपंथी दलों के समर्थन से 10 श्रमिक संगठन नयी श्रम संहिताओं और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं।
केंद्र का मानना है कि 1,200 से अधिक धाराओं वाले 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को श्रमिक वर्गों के हित में केवल चार संहिताओं में समाहित किया गया है लेकिन वामपंथी श्रमिक संगठनों एवं अन्य पक्षों का कहना है कि नयी श्रम संहिताएं श्रमिकों के हित में नहीं हैं।
प्रदेश के बीरभूम जिले के किरनाहार में, वाम दलों एवं तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच कथित तौर पर पुलिस के सामने झड़प हुई, घटना के दौरान वाम दलों के कार्यकर्ताओं के समूह ने हड़ताल के समर्थन में एक रैली निकाली। इस घटना में माकपा के तीन समर्थक कथित तौर पर घायल हो गए और उन्हें एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
रामपुरहाट से कुछ ही दूरी पर, पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग 10 पर वामपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए अवरोध को हटा दिया, जिसके बाद प्रदर्शनकारी रेलवे ट्रैक अवरुद्ध करने के इरादे से रामपुरहाट रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ गए। रेलवे पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया ।
सुबह शुरू हुई हड़ताल के समर्थकों ने पूर्वी रेलवे के सियालदह डिवीजन के सियालदह दक्षिण खंड में डायमंड हार्बर और उत्तर खंड में श्यामनगर में ट्रेनों की आवाजाही रोकने की कोशिश की।
बाद में बैरकपुर, कोन्नगर, दुर्गापुर, लालगोला, उलुबेरिया और बेलघरिया स्टेशनों से भी रेलवे ट्रैक जाम होने की खबरें मिलीं। पश्चिम बंगाल सरकार ने हड़ताल के दौरान सामान्य जनजीवन को प्रभावित होने से रोकने के लिये अतिरिक्त परिवहन व्यवस्था और सुरक्षा बलों की तैनाती की।
यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस की टुकड़ियां तैनात की गयी थी।
हड़ताल समर्थकों पर पुलिस कार्रवाई की कड़ी आलोचना करते हुए, माकपा के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘तृणमूल यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि वह भाजपा से भी ज़्यादा भाजपाई है। यह बस समय की बात है कि जनता का गुस्सा इस निरंकुश शासन पर हावी हो जाएगा।’’
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने इस हड़ताल का समर्थन किया है। तृणमूल कांग्रेस इस राज्य में सिर्फ़ भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में दलाली कर रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ममता बनर्जी बतायें कि जिन मांगों के पक्ष में इस हड़ताल का आह्वान किया गया है, उनमें से कौन सी मांग अतार्किक या ग़लत हैं।’’
सत्तारूढ़ तृकां नेता देबांग्शु भट्टाचार्य ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा, ‘‘बंद के नाम पर वामपंथी जो कर रहे हैं, वह गुंडागर्दी के अलावा और कुछ नहीं है, और पुलिस इन उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। यह लोगों की स्वतःस्फूर्त हड़ताल नहीं है, बल्कि उन पर थोपी गई हड़ताल है।’’
राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए बुधवार को कार्यालय में उपस्थित होना अनिवार्य कर दिया है।
राज्य सरकार ने कार्यस्थलों तक लोगों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सड़कों पर और अधिक बस उपलब्ध कराई हैं।
पश्चिम बंगाल में 2011 से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में किसी भी बंद का विरोध किया है और कहा है कि इससे काम पर असर पड़ता है।
भाषा गोला