वर्ष 2021 से अब तक 50 फीसदी से अधिक बाघों की मौत अभयारण्यों के बाहर हुई : सरकारी आंकड़ा
अमित नेत्रपाल
- 29 Jul 2025, 08:34 PM
- Updated: 08:34 PM
नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) भारत में 2021 से बाघों की आधी से अधिक मौतें संरक्षित अभयारण्यों के बाहर हुईं। ‘पीटीआई-भाषा’ द्वारा किए गए सरकारी आंकड़े के विश्लेषण से मंगलवार को यह जानकारी सामने आई।
वहीं, देश संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने के लिए नयी पहलों को आगे बढ़ा रहा है, जिसमें बाघों के लिए भारत के नेतृत्व में वैश्विक गठजोड़ और बाघों के मुख्य आवासों से गांवों को स्थानांतरित करने के प्रयास शामिल हैं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 से 2025 में अब तक की अवधि के दौरान 667 बाघों की मृत्यु हुई, जिनमें से 341 बाघों यानी 51 फीसदी मौतें अभयारण्यों के बाहर हुईं।
महाराष्ट्र में बाघों की ऐसी सबसे ज्यादा 111 की मौत दर्ज की गईं। इसके बाद मध्यप्रदेश में 90 बाघों की मौत हुई। वर्षवार आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 129 बाघों की मौत हुई, 2022 में 122; 2023 में 182; 2024 में 126 और 2025 में अब तक 108 बाघों की मौत हुई है।
भारत में लगभग 3,682 बाघ हैं और देश को बाघ अभयारण्यों के बाहर बाघों के संरक्षण की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जहां लगभग 30 प्रतिशत बाघ रहते हैं। मानव-बाघ संघर्ष से निपटने के लिए सरकार जल्द ही ‘टाइगर्स आउटसाइड टाइगर रिजर्व’ (टीओटीआर) परियोजना शुरू करने की योजना बना रही है, जिसमें 17 राज्यों के 80 वन प्रभाग शामिल होंगे।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के दिन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत की अगुवाई में शुरू की गई अंतरराष्ट्रीय पहल ‘इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस’ (आईबीसीए) में शामिल होने के लिए 24 देश सहमत हो गए हैं।
यह पहल बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा के संरक्षण के लिए शुरू की गई है।
आईबीसीए वेबसाइट के अनुसार, 12 देश - भारत, आर्मेनिया, भूटान, कंबोडिया, इथियोपिया, इस्वातिनी, गिनी, लाइबेरिया, निकारागुआ, रवांडा, सोमालिया और सूरीनाम - वर्तमान में इस गठजोड़ के सदस्य हैं।
यादव ने कहा कि भारत में बाघ अभयारण्यों की संख्या 2014 में 46 से बढ़कर वर्तमान में 58 हो गई है, जो राष्ट्रीय पशु की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मंत्री ने एक राष्ट्रव्यापी वृक्षारोपण अभियान शुरू करने की भी घोषणा की, जिसके तहत सभी बाघ अभयारण्यों में एक लाख से अधिक पौधे लगाए जाएंगे।
केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि बाघ संरक्षण में भारत की उपलब्धियां प्रकृति की रक्षा के प्रयासों में एक "मील का पत्थर" हैं। उन्होंने कहा कि बाघों की सुरक्षा का मतलब पर्यावरण की सुरक्षा भी है, क्योंकि बाघ एक शीर्ष प्रजाति है।
आईबीसीए के बारे में सिंह ने कहा कि कई देशों ने भारत से अनुरोध किया है कि वह उनके अधिकारियों को बाघों के संरक्षण में प्रशिक्षण दे।
उन्होंने कहा, ‘‘पर्यावरण एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसके अंतरराष्ट्रीय निहितार्थ हैं और यह कूटनीति के लिए एक महत्वपूर्ण है। हम इसमें बहुत अच्छा कर रहे हैं।’’
‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत अफ्रीका से और चीते लाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि भारत के पास नामीबिया जैसे समान जलवायु क्षेत्रों से चीते लाने की ठोस योजना है। उन्होंने कहा, ‘‘ये योजनाएं चल रही हैं। हम चीता संरक्षण के अपने प्रयासों में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।’’
विभिन्न राज्यों ने नई पहल के साथ अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया।
झारखंड में अधिकारियों ने बताया कि वन विभाग ने बाघों के लिए एक बेहतर आवास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पलामू बाघ अभयारण्य (पीटीआर) के अंदर स्थित 35 गांवों के ग्रामीणों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रिजर्व कोर क्षेत्र में लगभग 10,000 लोग रहते हैं।
एनटीसीए ने पिछले वर्ष राज्यों से मुख्य क्षेत्रों से गांवों के स्थानांतरण में तेजी लाने को कहा था, जिसके कारण वन अधिकार अधिनियम के कथित उल्लंघन तथा प्रभावित जनजातीय समुदायों के साथ परामर्श के अभाव को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि राज्य ने अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करके अपने वन्यजीव अभयारण्यों का विस्तार किया है।
शर्मा ने ‘एक्स’ पर अपने ‘पोस्ट’ में इस बात का भी जिक्र किया कि बाघों के घनत्व के मामले में राज्य दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट से पता चला कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभयारण्य में बाघों की संख्या 27 बढ़कर 148 हो गई है।
शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर कहा कि असम न केवल बाघों की रक्षा कर रहा है, बल्कि उनके क्षेत्र को पुनः प्राप्त भी कर रहा है।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य के समृद्ध वन्यजीवों, विशेषकर बाघों और उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में बाघों की महत्वपूर्ण भूमिका का भी उल्लेख किया।
खांडू ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘बाघ न केवल सर्वोच्च शिकारी हैं, बल्कि वे स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वपूर्ण संकेतक और हमारी राष्ट्रीय विरासत के गौरवशाली प्रतीक भी हैं। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर हम बाघों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करते हैं।’’
वहीं, ओडिशा के वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि राज्य सरकार बरगढ़ जिले के देबरीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में बाघों को लाने की योजना बना रही है।
राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर ओडिशा में बाघों की संख्या बढ़ाने के बारे में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) प्रेम कुमार झा ने कहा कि देबरीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य बाघों को लाने के लिए एक संभावित स्थल है।
झा ने कहा, ‘‘हमें देबरीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य में बदलने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से तकनीकी अनुमति मिल गई है।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वन्यजीव अभयारण्य का अध्ययन करने और इसे बाघों के आवास के रूप में विकसित करने के लिए कोर क्षेत्र और बफर ज़ोन को चिह्नित करने के वास्ते एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
भाषा अमित