बालाजी से जुड़े मुकदमे की सुनवाई के लिए क्रिकेट स्टेडियम की जरूरत होगी: न्यायालय का कटाक्ष
प्रीति नरेश
- 30 Jul 2025, 01:49 PM
- Updated: 01:49 PM
नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी. सेंथिल बालाजी से जुड़े नौकरी के बदले नकदी घोटाला मामले में 2000 से अधिक लोगों को आरोपी बनाए जाने पर तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाई तथा सभी आरोपियों और गवाहों का ब्यौरा मांगा।
पूर्व मंत्री से जुड़े मामलों की सुनवाई को “बिना पतवार वाली नौका’’ करार देते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि यदि न्यायपालिका ने हस्तक्षेप नहीं किया होता तो ‘‘अनिच्छुक राज्य सरकार” नकद के बदले नौकरी घोटाले में पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी से जुड़े मामलों को दबाकर बंद करना चाहती थी।
पीठ ने घोटाले के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले और मामलों को एक साथ करने के फैसले का विरोध करने वाले वाई. बालाजी की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से कहा, “इस मामले में 2,000 से अधिक आरोपी और 500 गवाह होने के कारण यह भारत का सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला मुकदमा होगा। इस मामले की सुनवाई के लिए न्यायालय का छोटा कक्ष पर्याप्त नहीं होगा तथा सभी अभियुक्तों की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए एक क्रिकेट स्टेडियम की जरुरत पड़ेगी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से पैदा किए गए आरोपी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए सामने आएंगे।”
विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति के अनुरोध पर पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा कि जब किसी मामले में एक ताकतवर मंत्री और धनी लोग आरोपी होते हैं तो ऐसी धारणा बन जाती है कि अकेला सरकारी अभियोजक न्याय नहीं कर पाएगा।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार से इस बात को लेकर नाखुशी जताई कि वह नौकरी के बदले नकदी ‘‘घोटाले’’ में 2,000 से अधिक लोगों को आरोपी बनाकर राज्य के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी से जुड़े मुकदमों की सुनवाई में देरी करने का प्रयास कर रही है।
न्यायालय ने इस प्रयास को ‘‘न्यायिक प्रणाली के साथ पूर्ण धोखाधड़ी’’ करार दिया था।
वी सेंथिल बालाजी ने शीर्ष अदालत की फटकार के बाद 27 अप्रैल को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाले राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने 23 अप्रैल को बालाजी से कहा था कि वह ‘‘पद और आजादी के बीच’’ में से किसी एक को चुनें। न्यायालय ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर वह मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते हैं, तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी।
पीठ ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि सेंथिल बालाजी को नकदी के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में जमानत मिलने के कुछ ही दिनों बाद फिर से दक्षिणी राज्य का मंत्री बना दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच किए जा रहे एक मामले में सेंथिल बालाजी को 26 सितंबर 2024 को जमानत दी थी।
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