मतदाता सूची तैयार करने में लापरवाही के लिए बंगाल के चार पंजीकरण अधिकारी समेत पांच निलंबित
पारुल अविनाश
- 05 Aug 2025, 09:45 PM
- Updated: 09:45 PM
कोलकाता, पांच अगस्त (भाषा) निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के चार पंजीकरण अधिकारियों समेत पांच कर्मचारियों को राज्य के दो जिलों में मतदाता सूची तैयार करते समय अपने कर्तव्यों के निर्वहन में विफल रहने के आरोप में मंगलवार को निलंबित कर दिया।
आयोग ने जिन कर्मचारियों को निलंबित किया है, उनमें दो निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ), दो सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) और एक डेटा एंट्री ऑपरेटर शामिल हैं। उसने इन कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया है।
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि अधिकारी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के इशारे पर मतदाता सूची से छेड़छाड़ कर रहे हैं।
निर्वाचन आयोग के सचिव सुजीत कुमार मिश्रा ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को लिखे एक पत्र में कहा, “मैं यह बताना चाहता हूं कि पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने एक रिपोर्ट भेजी है... जिसमें बरुईपुर पूर्व और मोयना विधानसभा क्षेत्रों के ईआरओ और एईआरओ के मतदाता सूची में गलत तरीके से नाम जोड़ने की जानकारी दी गई है।”
बरुईपुर पूर्व और मोयना विधानसभा सीट क्रमशः दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिले में आती हैं।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि देबोत्तम दत्ता चौधरी, तथागत मंडल, बिप्लब सरकार और सुदीप्त दास को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उसने बताया कि आयोग के निर्देशों का पालन करने में कथित विफलता के लिए इन कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है।
दत्ता चौधरी और मंडल क्रमशः बरुईपुर पूर्व के, जबकि सरकार और दास क्रमशः मोयना के ईआरओ और एईआरओ थे।
निर्वाचन आयोग ने आदेश दिया कि चारों पंजीकरण अधिकारियों और अस्थायी डेटा एंट्री ऑपरेटर सुरोजित हलदर के खिलाफ डेटा सुरक्षा नीति का उल्लंघन करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की जाए, क्योंकि उन्होंने मतदाता पंजीकरण डेटाबेस के अपने लॉगइन विवरण को अनधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा किया था।
मुख्य सचिव मनोज पंत को लिखे पत्र में आयोग ने कहा कि निलंबित कर्मचारी मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया में कदाचार में लिप्त होने के दोषी हैं।
पत्र में कहा गया है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार मतदाता सूची तैयार करने और उसमें संशोधन एवं सुधार की प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों को उस अवधि के लिए निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर माना जाएगा, जिस दौरान वे संबंधित भूमिका में कार्यरत हैं।
पत्र में आयोग ने बताया है कि मतदाता सूची तैयार करने और उसमें संशोधन एवं सुधार के संबंध में किसी भी कदाचार में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
आयोग ने कहा है कि आधिकारिक कर्तव्य का उल्लंघन करते हुए ऐसे किसी भी कृत्य या चूक के लिए “किसी अधिकारी को न्यूनतम तीन महीने और अधिकतम दो साल तक की कैद और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।”
पत्र में सीईओ की ओर से 29 जुलाई को भेजी गई एक रिपोर्ट का खास तौर पर हवाला दिया गया है, जिसमें “बरुईपुर पूर्व विधानसभा सीट की मतदाता सूची में शामिल एक व्यक्ति का गलत पता देने की बात कही गई है, जहां उक्त अधिकारी आवेदन का निपटान करते समय न सिर्फ ईआरओ और एईआरओ के रूप में कर्तव्यों के निर्वहन में विफल रहे, बल्कि उन्होंने डेटा सुरक्षा नीति का भी उल्लंघन किया।”
भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख मालवीय ने निर्वाचन आयोग के पत्र की प्रति साझा करते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सरकारी कर्मचारियों को धमकाने और उन्हें अवज्ञा की ओर धकेलने की कोशिश किए जाने के बाद, निर्वाचन आयोग ने हस्तक्षेप किया और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के इशारे पर मतदाता सूची से समझौता करने के लिए दो ईआरओ और दो एईआरओ को निलंबित कर दिया।”
उन्होंने कहा, “यह सिर्फ चुनावी कदाचार नहीं, बल्कि लोकतंत्र के साथ सुव्यवस्थित विश्वासघात भी है।”
भाजपा के बांग्लादेशी/रोहिंग्या घुसपैठ मुद्दे पर जोर देते हुए मालवीय ने कहा, “अगर बंगाल को बचाना है, तो मतदाता सूची से अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी का राजनीतिक अस्तित्व बड़ी संख्या में अनधिकृत मतदाताओं के पंजीकरण पर टिका हुआ है।
मालवीय ने कहा कि बंगाल के लोग वैध नागरिकों की ओर से चुनी गई सरकार के हकदार हैं, न कि “आयातित वोट बैंक” द्वारा लाई गई सरकार के।
भाषा पारुल